तख़य्युल को बरी करने लगा हूँ
मैं ज़ेहनी ख़ुद-कुशी करने लगा हूँ
मुझे ज़िंदा जलाया जा रहा है
तो क्या मैं रौशनी करने लगा हूँ
मैं आईनों को देखे जा रहा था
अब इन से बात भी करने लगा हूँ
तुम्हारी बस तुम्हारी दुश्मनी में
मैं सब से दोस्ती करने लगा हूँ
मुझे गुमराह करना ग़ैर-मुमकिन
मैं अपनी पैरवी करने लगा हूँ
ग़ज़ल
तख़य्युल को बरी करने लगा हूँ
अम्मार इक़बाल