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तह-ए-मज़ार कौन है सर-ए-मज़ार कौन था | शाही शायरी
tah-e-mazar kaun hai sar-e-mazar kaun tha

ग़ज़ल

तह-ए-मज़ार कौन है सर-ए-मज़ार कौन था

नवाज़ असीमी

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तह-ए-मज़ार कौन है सर-ए-मज़ार कौन था
जो क़ब्र गीली कर गया वो अश्क-बार कौन था

सभी ने आश्कार अपने आप को किया मगर
नुमाइशों की आड़ में वो पर्दा-दार कौन था

तमाम शहर ग़र्क़ है ग़ुबार ही ग़ुबार में
अमीर-ए-शहर ये बता वो ख़ाकसार कौन था

वो क़ौम ही अजीब थी थे नीम-बरहना सभी
नदामतें थीं किस के पास शर्मसार कौन था

मुसाफिरों का क्या हुआ ऐ नाख़ुदा तू ही बता
भँवर की ज़द में कौन था नदी के पार कौन था

थी बे-हयाईयों की धूम शहर-ए-इम्तियाज़ में
बिगड़ चुके समाज का जवाब-दार कौन था

मिरी क़ज़ा के बा'द शोर-ओ-ग़ुल था अज़दहाम में
मुदावा ग़म का कर गया वो ग़म-गुसार कौन था

झलक रही हैं अज़्मतें 'नवाज़' उस के ताज में
जो ताज उस को दे गया वो ताजदार कौन था