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तड़प के लौट के आँसू बहा के देख लिया | शाही शायरी
taDap ke lauT ke aansu baha ke dekh liya

ग़ज़ल

तड़प के लौट के आँसू बहा के देख लिया

शरफ़ मुजद्दिदी

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तड़प के लौट के आँसू बहा के देख लिया
लगी न दिल की तुझे दिल लगा के देख लिया

किसी ने दाद न दी कुछ फ़साना-ए-दिल की
उन्हें भी दर्द-ए-मोहब्बत सुना के देख लिया

किसे उमीद थी आओगे तुम दम-ए-आख़िर
बड़ा कमाल किया तुम ने आ के देख लिया

कहा था मैं ने कि दुश्वार दिल का लेना है
वो बोले दूर से मुझ को दिखा के देख लिया

ग़ज़ब किया कि चखा कर मय-ए-सुख़न का मज़ा
'शरफ़' से शख़्स को बे-ख़ुद बना के देख लिया