ताज़ा आज़ार का अरमान कहाँ जाता है
फिर सता ले तिरे क़ुर्बान कहाँ जाता है
किस पे दिल आया कहाँ आया बता ऐ नासेह
तू मिरी तरह परेशान कहाँ जाता है
ख़ानक़ाहों पे हुआ पीर-ए-मुग़ाँ का क़ब्ज़ा
आज मय-ख़ाने का सामान कहाँ जाता है
दिल सलामत नहीं आने का 'मुबारक' ब-ख़ुदा
अरे नादान कहा मान कहाँ जाता है
ग़ज़ल
ताज़ा आज़ार का अरमान कहाँ जाता है
मुबारक अज़ीमाबादी