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सूरज के हम-सफ़र हैं हमारी उमंग ये | शाही शायरी
suraj ke ham-safar hain hamari umang ye

ग़ज़ल

सूरज के हम-सफ़र हैं हमारी उमंग ये

नसीम सहर

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सूरज के हम-सफ़र हैं हमारी उमंग ये
और सामने हमारे है काली सुरंग ये

मेरी तरह ये दिल के लहू में नहाए हैं
बे-वज्ह तो नहीं है गुलाबों का रंग ये

इस मा'रके में काम जो हम आ गए तो क्या
जारी रहेगी बा'द हमारे भी जंग ये

इक लम्स मिल गया था मुझे तेरे ध्यान का
अब उम्र-भर उतरने नहीं दूँगा रंग ये

शर्मिंदा हूँ न दोस्त मुज़िर इस लिए हूँ मैं
आते हैं दुश्मनों की तरफ़ ही से संग ये

आई हुई गिरफ़्त में है गर्द-बाद की
अब जंगलों में जा के गिरेगी पतंग ये

रानाइयाँ अजीब सी हैं याद-ए-यार में
ख़ुशबू ये ख़ुशबुओं में है रंगों में रंग ये