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सुनहरी धूप खिली है कई दिनों के ब'अद | शाही शायरी
sunahri dhup khili hai kai dinon ke baad

ग़ज़ल

सुनहरी धूप खिली है कई दिनों के ब'अद

सुनील आफ़ताब

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सुनहरी धूप खिली है कई दिनों के ब'अद
फिर उन से बात हुई है कई दिनों के ब'अद

सुरों में शाम सजी है कई दिनों के ब'अद
ग़ज़ल को राह मिली है कई दिनों के ब'अद

किरन किरन तिरा चेहरा ज़मीं में उतरा है
कि ऐसी सुब्ह हुई है कई दिनों के ब'अद

ये किस ने चार दिशाओं में इत्र छिड़का है
फ़ज़ा महक सी गई है कई दिनों के ब'अद