EN اردو
सुकूत तोड़ने का एहतिमाम करना चाहिए | शाही शायरी
sukut toDne ka ehtimam karna chahiye

ग़ज़ल

सुकूत तोड़ने का एहतिमाम करना चाहिए

अहमद ख़याल

;

सुकूत तोड़ने का एहतिमाम करना चाहिए
कभी-कभार ख़ुद से भी कलाम करना चाहिए

अदब में झुकना चाहिए सलाम करना चाहिए
ख़िरद तुझे जुनून को इमाम करना चाहिए

उलझ गए हैं सारे तार अब मिरे ख़ुदा तुझे
तवील दास्ताँ का इख़्तिताम करना चाहिए

तमाम लोग नफ़रतों के ज़हर में बुझे हुए
मोहब्बतों के सिलसिलों को आम करना चाहिए

मिरे लहू तू चश्म और अश्क से गुरेज़ कर
तुझे रगों के दरमियाँ ख़िराम करना चाहिए