सुकून-ए-दिल फ़ना है और मैं हूँ
ग़मों का क़ाफ़िला है और मैं हूँ
कहानी कह रही है रात अपनी
मुक़ाबिल आइना है और मैं हूँ
निसाब-ए-गर्दिश-ए-शाम-ओ-सहर है
सर-ए-रह हादिसा है और मैं हूँ
कहूँ क्या हस्ती-ए-ना-मोतबर हूँ
तिरा ही आसरा है और मैं हूँ
वही नैरंगी-ए-रंग-ए-ज़माना
वही दिल की सदा है और मैं हूँ
अगरचे जिस्म रखता हूँ मैं 'आदिल'
बदन सर से जुदा है और मैं हूँ
ग़ज़ल
सुकून-ए-दिल फ़ना है और मैं हूँ
आदिल हयात