सोज़-ए-परवाना नूर-ए-दीन-ए-शम्अ'
तार-ए-ज़ुन्नार दिल-नशीन-ए-शम्अ'
क़तरा-ए-ख़ून-ए-ज़ख़्म-ए-परवाना
क़शक़ा-ए-ताज़ा-ए-जबीन-ए-शम्अ'
तुम भी दो एक बोसा बहर-ए-ख़ुदा
कि है गुल-गीर बोसा-चीन-ए-शम्अ'
दाना-ए-इश्क़ बो रहा है पतंग
सोख़्ता गरचे है ज़मीन-ए-शम्अ'
मेरी अर्ज़-ए-हयात का है तूल
नफ़स-ए-तंग वापसीन-ए-शम्अ
आह परवाने का परेशाँ दूद
बन गया ज़ुल्फ़-ए-अंबरीन-ए-शम्अ'
क़द्र-ए-मजनूँ न होगी मेरे बा'द
ख़ाक जुगनू हो जा-नशीन-ए-शम्अ'
रोज़-ए-अव्वल से हैं बहम मरबूत
दस्त-ए-परवाना आस्तीन-ए-शम्अ'
हक़ में परवाने के है तीर-ए-शहाब
ऐ 'वक़ार' आह-ए-आतिशीन-ए-शम्अ'
ग़ज़ल
सोज़-ए-परवाना नूर-ए-दीन-ए-शम्अ'
किशन कुमार वक़ार

