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सोए हुओं में ख़्वाब से बेदार कौन है | शाही शायरी
soe huon mein KHwab se bedar kaun hai

ग़ज़ल

सोए हुओं में ख़्वाब से बेदार कौन है

सज्जाद बाक़र रिज़वी

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सोए हुओं में ख़्वाब से बेदार कौन है
इस आलम-ए-ख़याल में हुशियार कौन है

मत पूछ उस का तालिब-ए-दीदार कौन है
ये देख मोहर-बर-लब-ए-गुफ़्तार कौन है

उतरा है चाँद सीने में या ख़ुद ही जल उठे
तारीकियों में दिल की ज़िया-बार कौन है

अर्ज़-ए-हुनर में कोह-ए-वफ़ा पर हो तेशा-ज़न
दे जान नज़्र-ए-शोला-ए-इज़हार कौन है

जो फ़न-तराज़ियाँ क़द-ओ-गेसू की भाँप ले
जो जाँच ले क़यामत-ए-रफ़्तार कौन है

सब अपने अपने दार-ओ-रसन साथ ले चलो
पूछेंगे वो कि तुम में वफ़ादार कौन है

कुछ लोग अपने ख़ूँ में नहा कर चले गए
अब सुर्ख़रू-ए-अर्सा-ए-पैकार कौन है

दो-गाम दिल की राह पे चलना मुहाल है
अब और ऐसी वादी-ए-पुर-ख़ार कौन है

पत्थर से आग आग से जो लाए जू-ए-शीर
तुम में वो तेशा-दार-ए-फ़ुसूँ-कार कौन है

शायद कोई पटकता है सर चल के देखिए
'बाक़र' है क़ैस है पस-ए-दीवार कौन है