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सितम कोई नया ईजाद करना | शाही शायरी
sitam koi naya ijad karna

ग़ज़ल

सितम कोई नया ईजाद करना

तिलोकचंद महरूम

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सितम कोई नया ईजाद करना
तो मुझ को भी मिरी जाँ याद करना

क़यामत है दिल-ए-नालाँ क़यामत
तिरा रह रह के ये फ़रियाद करना

चलो अब लुत्फ़ ही को आज़माओ
तुम्हें आता नहीं बेदाद करना

असीर-ए-ज़ुल्फ़ है 'महरूम' उन का
जिन्हें आता नहीं आज़ाद करना