सितारों से भरा ये आसमाँ कैसा लगेगा
हमारे बा'द तुम को ये जहाँ कैसा लगेगा
थके-हारे हुए सूरज की भीगी रौशनी में
हवाओं से उलझता बादबाँ कैसा लगेगा
जमे क़दमों के नीचे से फिसलती जाएगी रेत
बिखर जाएगी जब उम्र-ए-रवाँ कैसा लगेगा
इसी मिट्टी में मिल जाएगी पूँजी उम्र भर की
गिरेगी जिस घड़ी दीवार-ए-जाँ कैसा लगेगा
बहुत इतरा रहे हो दिल की बाज़ी जीतने पर
ज़ियाँ बा'द अज़ ज़ियाँ बा'द अज़ ज़ियाँ कैसा लगेगा
वो जिस के बा'द होगी इक मुसलसल बे-नियाज़ी
घड़ी भर का वो सब शोर ओ फ़ुग़ाँ कैसा लगेगा
अभी से क्या बताएँ मर्ग-ए-मजनूँ की ख़बर पर
सुलूक-ए-कूचा-ए-ना-मेहरबाँ कैसा लगेगा
बताओ तो सही ऐ जान-ए-जाँ कैसा लगेगा
सितारों से भरा ये आसमाँ कैसा लगेगा
ग़ज़ल
सितारों से भरा ये आसमाँ कैसा लगेगा
इफ़्तिख़ार आरिफ़