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सिमट गई तो शबनम फूल सितारा थी | शाही शायरी
simaT gai to shabnam phul sitara thi

ग़ज़ल

सिमट गई तो शबनम फूल सितारा थी

अज़रा परवीन

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सिमट गई तो शबनम फूल सितारा थी
बिफर के मेरी लहर लहर अँगारा थी

कल तिरी ख़्वाहिश कब इतनी बंजारी थी
तू सर-ता-पा आँख था मैं नज़्ज़ारा थी

मैं कि जुनूँ के परों पे उड़ती ख़ुश्बू थी
रंग रंग के आकार में ढलता पारा थी

मैं धरती हूँ उसे यही बस याद रहा
भूल गया मैं और भी इक सय्यारा थी

तू ही तो इज़्न था तू ही अंजाम हुआ
तिरा बिछड़ना और मैं पारा पारा थी