सीना-साफ़ी की है जिसे ऐनक
उस कूँ दीदार-ए-यार है बे-शक
सफ़्हा-ए-दिल कूँ दाग़ की कर मोहर
इश्क़ के शाह ने दिया दस्तक
रहज़न-ए-अक़्ल सीं नहीं विसवास
हूँ हिमायत में इश्क़ की जब तक
बुल-हवस सोज़-ए-दिल कूँ क्या जाने
न जले हरगिज़ आग में अब्रक
ग़ैर का नक़्श ग़ैर-ए-नक़्श-निगार
सफ़्हा-ए-दिल सती किया हूँ हक
शोर है बस कि तुझ मलाहत का
दिल हमारा हुआ है कान-ए-नमक
गर जला चाहता है मिस्ल-ए-'सिराज'
ऐ दिल उस शोअ'ला-रू की देख झलक
ग़ज़ल
सीना-साफ़ी की है जिसे ऐनक
सिराज औरंगाबादी