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शुऊर-ए-क़ैस ने सहरा में ख़ुद-कुशी कर ली | शाही शायरी
shuur-e-qais ne sahra mein KHud-kushi kar li

ग़ज़ल

शुऊर-ए-क़ैस ने सहरा में ख़ुद-कुशी कर ली

सीन शीन आलम

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शुऊर-ए-क़ैस ने सहरा में ख़ुद-कुशी कर ली
कहा गया ग़म-ए-लैला में ख़ुद-कुशी कर ली

ग़म-ए-हयात के आतिश-कदे से आया था
वो जिस ने कूद के दरिया में ख़ुद-कुशी कर ली

हमारे क़त्ल का शाहिद तो है हर इक लम्हा
मगर ये शोर है दुनिया में ख़ुद-कुशी कर ली

मिला न जब कोई अवतार मुझ को कल-युग में
नए जनम की तमन्ना में ख़ुद-कुशी कर ली

जुनूँ तलाश-ए-बयाबाँ में मुंहमिक ही रहा
ख़िरद ने साग़र-ए-सहबा में ख़ुद-कुशी कर ली

रह-ए-हयात न तय हो सकी तो जमुना ने
सुना है डूब के गंगा में ख़ुद-कुशी कर ली