शोख़ नज़रों में जो शामिल बरहमी हो जाएगी
और भी जिंस-ए-मोहब्बत क़ीमती हो जाएगी
आँखों आँखों में जो सुल्ह-ए-बाहमी हो जाएगी
बात भी रह जाएगी और बात भी हो जाएगी
दिल नज़र बन जाएगा ग़म हर ख़ुशी हो जाएगी
आप के जाते ही दुनिया दूसरी हो जाएगी
आइना कर देगी मेरी ख़ुद-फ़रामोशी मुझे
बे-ख़ुदी जब हद से गुज़रेगी ख़ुदी हो जाएगी
दाग़-ए-दिल बन जाएगा फ़ुर्क़त में तेरी रश्क-ए-माह
यूँ भी मेरे ग़म-कदे में रौशनी हो जाएगी
ग़ज़ल
शोख़ नज़रों में जो शामिल बरहमी हो जाएगी
शकील बदायुनी