शौक़ की नुक्ता-दानियाँ न गईं
रात बीती कहानियाँ न गईं
हुस्न ने दी हज़ार बार शिकस्त
इश्क़ की लनतरानियाँ न गईं
नक़्श बन बन के रह गईं दिल में
सरसरी नौजवानियाँ न गईं
चेहरा-ए-ज़िंदगी की रौनक़ हैं
हौसलों की निशानियाँ न गईं
'वज्द' मायूसियों के ज़ोर में भी
अज़्म की कामरानियाँ न गईं
ग़ज़ल
शौक़ की नुक्ता-दानियाँ न गईं
सिकंदर अली वज्द