शौक़-ए-आवारा दश्त-ओ-दर से है
तोहमत-ए-संग ज़ख़्म-ए-सर से है
जादा राह-ए-बहिश्त हम को नदीम
ये इरम गर्द-ए-रहगुज़र से है
आबलों से निगार-ए-सहरा है
रिश्ता-ए-ग़म पयाम्बर से है
अब ख़राबी से हैं दर-ओ-दीवार
अब जरस जादा-ए-सफ़र से है
रंज-ए-बे-चारगी शब-ए-ग़म से
बज़्म-ए-मय मुज़्दा-ए-सहर से है
ग़ज़ल
शौक़-ए-आवारा दश्त-ओ-दर से है
अर्शी भोपाली