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शराब शहर में नीलाम हो गई होगी | शाही शायरी
sharab shahr mein nilam ho gai hogi

ग़ज़ल

शराब शहर में नीलाम हो गई होगी

तालिब हुसैन तालिब

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शराब शहर में नीलाम हो गई होगी
अदालत आज भी नाकाम हो गई होगी

मैं जिस ग़ज़ल में तिरा हुस्न ले के आया था
पुरानी बात सही आम हो गई होगी

मैं चाँद भेज रहा हूँ कि तुम को देख आए
तुम्हारे शहर में अब शाम हो गई होगी

उठा के लाया था इक देव-दासी मंदिर से
तो क्या वो दाख़िल-ए-इस्लाम हो गई होगी

ये इश्क़ खेल नहीं है छुपन-छुपाई का
तू एक बार तो बद-नाम हो गई होगी