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शराब-ए-शौक़ सें सरशार हैं हम | शाही शायरी
sharab-e-shauq sen sarshaar hain hum

ग़ज़ल

शराब-ए-शौक़ सें सरशार हैं हम

वली मोहम्मद वली

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शराब-ए-शौक़ सें सरशार हैं हम
कभू बे-ख़ुद कभू हुशियार हैं हम

दो-रंगी सूँ तिरी ऐ सर्व-ए-रा'ना
कभू राज़ी कभू बेज़ार हैं हम

तिरे तस्ख़ीर करने में सिरीजन
कभी नादाँ कभी अय्यार हैं हम

सनम तेरे नयन की आरज़ू में
कभू सालिम कभी बीमार हैं हम

'वली' वस्ल-ओ-जुदाई सूँ सजन की
कभू सहरा कभू गुलज़ार हैं हम