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शफ़क़ शजर मौसमों के ज़ेवर नए नए से | शाही शायरी
shafaq shajar mausamon ke zewar nae nae se

ग़ज़ल

शफ़क़ शजर मौसमों के ज़ेवर नए नए से

राजेन्द्र मनचंदा बानी

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शफ़क़ शजर मौसमों के ज़ेवर नए नए से
दुआओं की ओस चुनते मंज़र नए नए से

नमक नशीली गुदाज़ फ़सलें नई नई सी
उफ़ुक़ परिंदे गुलाब बिस्तर नए नए से

ख़ला ख़ला बाज़ुओं को भरती नई हवाएँ
सफ़र सदफ़ बादबाँ समुंदर नए नए से

ये दिन ढले किस का मुंतज़िर मैं नया नया सा
ये फैलते ख़्वाब मेरे अंदर नए नए से

ख़ुनुक हवा शाम की कहानी नई नई सी
पुराने ग़म फिर मोहब्बतों भर नए नए से