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शबनम-आलूद पलक याद आई | शाही शायरी
shabnam-alud palak yaad aai

ग़ज़ल

शबनम-आलूद पलक याद आई

नासिर काज़मी

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शबनम-आलूद पलक याद आई
गुल-ए-आरिज़ की झलक याद आई

फिर सुलगने लगे यादों के खंडर
फिर कोई ताक-ए-ख़ुनक याद आई

कभी ज़ुल्फ़ों की घटा ने घेरा
कभी आँखों की चमक याद आई

फिर किसी ध्यान ने डेरे डाले
कोई आवारा महक याद आई

फिर कोई नग़्मा गुलू-गीर हुआ
कोई बे-नाम कसक याद आई

ज़र्रे फिर माइल-ए-राम हैं 'नासिर'
फिर उन्हें सैर-ए-फ़लक याद आई