शब-ए-फ़िराक़ अचानक ख़याल आया मुझे
कि मैं चराग़ न था उस ने क्यूँ जलाया मुझे
कहाँ मिला मैं तुझे ये सवाल ब'अद का है
तू पहले याद तो कर किस जगह गँवाया मुझे
मुझे शुबह सा हुआ उस की बे-नियाज़ी से
मैं ख़ुद बना हूँ ख़ुदा ने नहीं बनाया मुझे
मिला भी मुझ को बिछड़ कर कहीं चला भी गया
और अपना नाम भी उस ने नहीं बताया मुझे
ग़ज़ल
शब-ए-फ़िराक़ अचानक ख़याल आया मुझे
अंजुम ख़याली