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सौ बातों की बात है प्यारे वो जो ज़ात में होती है | शाही शायरी
sau baaton ki baat hai pyare wo jo zat mein hoti hai

ग़ज़ल

सौ बातों की बात है प्यारे वो जो ज़ात में होती है

उरूज ज़ेहरा ज़ैदी

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सौ बातों की बात है प्यारे वो जो ज़ात में होती है
हर इंसान की इज़्ज़त उस के अपने हात में होती है

कोई अजब सा पहलू है जो दिल में घर कर जाता है
कोई अलग सी बात है जो उस की हर बात में होती है

उस की याद भी उस की तरह उल्टे वक़्तों आती है
शाम ढले तक दूर रहे और पास वो रात में होती है

किसी से झूटे वा'दे करना धोका देना होता है
ग़लती तो वो है मेरी जाँ जो जज़्बात में होती है

'ज़हरा-ज़ैदी' आप उसे आख़िर क्यूँ मान नहीं लेतीं
इश्क़ तो रहमत है और रहमत कब ख़ैरात में होती है