EN اردو
सनम के देख कर लब और दहन सुर्ख़ | शाही शायरी
sanam ke dekh kar lab aur dahan surKH

ग़ज़ल

सनम के देख कर लब और दहन सुर्ख़

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

;

सनम के देख कर लब और दहन सुर्ख़
हुआ है ख़ून-ए-बुलबुल से चमन सुर्ख़

शहीद-ए-लाला-रूयाँ को बजा है
दफ़न के वक़्त गर कीजे कफ़न सुर्ख़

हुआ मजनूँ के हक़ में दश्त गुलज़ार
किया है इश्क़ के टेसू ने बन सुर्ख़

गुलों का रंग अब ज़र्द हो गया है
चमन में देख कर तेरा बदन सुर्ख़

कर 'हातिम' याद अहवाल-ए-शहीदाँ
शफ़क़ से जब कि होता है गगन सुर्ख़