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सलाम तेरी मुरव्वत को मेहरबानी को | शाही शायरी
salam teri murawwat ko mehrbani ko

ग़ज़ल

सलाम तेरी मुरव्वत को मेहरबानी को

ख़ुर्शीद अहमद जामी

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सलाम तेरी मुरव्वत को मेहरबानी को
मिला इक और नया सिलसिला कहानी को

नसीम-ए-याद-ए-ग़ज़ालाँ चली न फूल खिले
वो रेगज़ार मिले मौसम-ए-जवानी को

बहुत उदास बहुत मुन्फ़इल नज़र आई
निगाह चूम के रुख़्सार-ए-शादमानी को

दयार-ए-शेर में 'जामी' क़ुबूल कर न सका
मिरा मज़ाक़ रिवायत की हुक्मरानी को