सलाम तेरी मुरव्वत को मेहरबानी को
मिला इक और नया सिलसिला कहानी को
नसीम-ए-याद-ए-ग़ज़ालाँ चली न फूल खिले
वो रेगज़ार मिले मौसम-ए-जवानी को
बहुत उदास बहुत मुन्फ़इल नज़र आई
निगाह चूम के रुख़्सार-ए-शादमानी को
दयार-ए-शेर में 'जामी' क़ुबूल कर न सका
मिरा मज़ाक़ रिवायत की हुक्मरानी को
ग़ज़ल
सलाम तेरी मुरव्वत को मेहरबानी को
ख़ुर्शीद अहमद जामी