सैर करने से हवा लेने से
काम है दिल को मज़ा लेने से
धूप साए की तरह फैल गई
इन दरख़्तों की दुआ लेने से
इस तरह हाल कोई छुपता है
इस तरह ज़ख़्म छुपा लेने से
कोई मक़्बूल दुआ होती है
सिर्फ़ हाथों को उठा लेने से
मेरे जैसा वो नहीं हो सकता
मेरा अंदाज़ चुरा लेने से
रात कुछ अच्छी गुज़र जाती है
चाँद को छत पे बुला लेने से
वक़्त बे-वक़्त का आज़ार मिला
वक़्त को साथ लगा लेने से
आज भी नाम वही है अपना
क्या हुआ नाम कमा लेने से

ग़ज़ल
सैर करने से हवा लेने से
काशिफ़ हुसैन ग़ाएर