सैर-ए-बहार-ए-हुस्न ही अँखियों का काम जान
दिल कूँ शराब-ए-शौक़ का साग़र मुदाम जान
तर्ज़-ए-निगाह-ए-इज्ज़ यही अर्ज़-ए-हाल है
ऐ रम्ज़-दाँ हमन के अँखियों का कलाम जान
रुस्वा करेंगे तुझ कूँ जगत में निहाल-ए-अश्क
अंझुवाँ कूँ दश्त और सफ़-ए-मिज़्गाँ को शाम जान
तेरी गली में दीदा ओ दिल फ़र्श-ए-राह हैं
आहिस्ता टुक क़दम कूँ रख ऐ ख़ुश-ख़िराम जान
वहदत में बे-ख़ुदी का इबादत हुआ है नाम
मय-ख़ाने कूँ अदब सेती बैत-उल-हराम जान
तेग़-ए-अजल सूँ किस का सलामत रहा है जीव
शोख़ी सीं जब निगाह करें क़त्ल-ए-आम जान
उस कूँ शरफ़ है जिस की करें बंदगी क़ुबूल
जो 'आबरू' तलब हैं सो अपना ग़ुलाम जान
ग़ज़ल
सैर-ए-बहार-ए-हुस्न ही अँखियों का काम जान
आबरू शाह मुबारक