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सफ़र के नक़्शे में चटियल ज़मीं बनाई गई | शाही शायरी
safar ke naqshe mein chatiyal zamin banai gai

ग़ज़ल

सफ़र के नक़्शे में चटियल ज़मीं बनाई गई

राकिब मुख़्तार

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सफ़र के नक़्शे में चटियल ज़मीं बनाई गई
कि उस में एक भी झाड़ी नहीं बनाई गई

ये सरहदें तो बहुत बा'द में बनीं पहले
दिलों की तरह कुशादा ज़मीं बनाई गई

घुटे घुटे से कई दोस्त भी तो रहने हैं
ये सोच कर ही खुली आस्तीं बनाई गई

ग़ज़ल ग़ज़ल में बड़ा फ़र्क़ है मिरे भाई
कहीं उतारी गई है कहीं बनाई गई

किसी ने रंगों में 'राकिब' गुलाब गूँधे नहीं
किसी से शक्ल तुम्हारी नहीं बनाई गई