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सच को झूट बना जाता है बाज़ औक़ात | शाही शायरी
sach ko jhuT bana jata hai baz auqat

ग़ज़ल

सच को झूट बना जाता है बाज़ औक़ात

मंज़र नक़वी

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सच को झूट बना जाता है बाज़ औक़ात
बंदा ठोकर खा जाता है बाज़ औक़ात

घर की छत पर रिम-झिम बारिश जलती धूप
ये मौसम भी आ जाता है बाज़ औक़ात

अच्छी क़िस्मत अच्छा मौसम अच्छे लोग
फिर भी दिल घबरा जाता है बाज़ औक़ात

रोज़ाना तू रात गए घर आता है
शाम से पहले आ जाता है बाज़ औक़ात

जीत के मुझ से इतना क्यूँ इतराते हो
हार के भी जीता जाता है बाज़ औक़ात

तुम ने नाहक़ रोने का इल्ज़ाम दिया
आँख में पानी आ जाता है बाज़ औक़ात

'मंज़र' मीठी बातें भी तो करता है
कड़वे बोल सुना जाता है बाज़ औक़ात