सच की ख़ातिर सब कुछ खोया कौन लिखेगा
मेरा ये बे-कैफ़ सा क़िस्सा कौन लिखेगा
यूँ तो हर काँधे पर इक चेहरा है लेकिन
किस के पास है अपना चेहरा कौन लिखेगा
बर्फ़ पिघल कर दरिया तो तुग़्यानी लाए
क्यूँ चढ़ता है वक़्त का दरिया कौन लिखेगा
दश्त-नवर्दी का क़िस्सा तो सब लिखते हैं
किस घर में है कितना सहरा कौन लिखेगा
सामने जो हालात हैं उन सब के होने में
कितना कुछ है किस का हिस्सा कौन लिखेगा
ख़ुश्क हुआ एहसास का ख़ामा अब ऐसे में
क्या होता है दर्द का रिश्ता कौन लिखेगा
रोज़-ओ-शब के बीच तसादुम में ऐ हमदम
सूरज का किरदार है कैसा कौन लिखेगा
अब्र-ए-सियह तो झूम के आया लेकिन 'अरशद'
किस बस्ती पर कितना बरसा कौन लिखेगा
ग़ज़ल
सच की ख़ातिर सब कुछ खोया कौन लिखेगा
अरशद कमाल