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सच है होगा दुनिया में कोई हम सा कम तन्हा | शाही शायरी
sach hai hoga duniya mein koi hum sa kam tanha

ग़ज़ल

सच है होगा दुनिया में कोई हम सा कम तन्हा

मक़बूल नक़्श

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सच है होगा दुनिया में कोई हम सा कम तन्हा
हम-नफ़स नफ़स तन्हा हम-क़दम क़दम तन्हा

दहर आइना-ख़ाना और उस में हम तन्हा
देखिए तो इक महफ़िल वैसे एक-दम तन्हा

आरज़ू रिफ़ाक़त की आदमी की फ़ितरत है
ज़िंदगी नहीं कटती आप हों कि हम तन्हा

ज़िंदगी की राहों में साथ छोड़ने वालो
काश देख लेते तुम चल के दो-क़दम तन्हा

सिर्फ़ ये बताना है शेवा-ए-वफ़ा क्या है
वर्ना कौन सहता है इतने रंज-ओ-ग़म तन्हा