सब्र कर सब्र दिल-ए-ज़ार ये वहशत क्या है 
दश्त-ए-पुर-ख़ार में जाने की ज़रूरत क्या है 
इक तहय्युर में पड़ा हूँ नहीं मिलता है पता 
चश्म-ए-बे-ख़्वाब में ये सूरत-ए-हसरत क्या है 
दिल में बैठे हैं तो फिर मुँह का छुपाना कैसा 
ऐ बुत-ए-होश-रुबा आप की आदत क्या है 
लोरियाँ देगी क़ज़ा चैन से सो जाएँगे 
तेरे बीमार को मरने की ज़रूरत क्या है 
नेक-ओ-बद जब तिरी मर्ज़ी पे हुए हैं मौक़ूफ़ 
बख़्त कहते हैं किसे और ये क़िस्मत क्या है 
दम-ए-आख़िर है मिरा तुम सर-ए-बालीं आओ 
एक साअ'त के ठहरने में क़बाहत क्या है 
रोज़-ए-इशरत में समझती हूँ 'जमीला' इस को 
लोग किस वास्ते डरते हैं क़यामत क्या है
        ग़ज़ल
सब्र कर सब्र दिल-ए-ज़ार ये वहशत क्या है
जमीला ख़ुदा बख़्श

