सभों से यूँ तो है दिल आप का ख़ुश
अगर पूछो तो है हम से ही ना-ख़ुश
ख़ुशी तेरी ही है मंज़ूर हम को
बला से गर कोई ना-ख़ुश हो या ख़ुश
रवाक़-ए-चश्म ओ क़स्र-ए-दिल किया सैर
न की पर आप ने याँ कोई जा ख़ुश
जफ़ा कर या वफ़ा मुख़्तार है तू
मुझे यकसाँ है क्या ना-ख़ुश है क्या ख़ुश
नहीं उस में तो ग़ैर-अज़-जौर लेकिन
मुझे क्या जाने क्या आई अदा ख़ुश
किया है गरचे ना-ख़ुश तू ने हम को
रखे पर ऐ बुताँ तुम को ख़ुदा ख़ुश
ख़ुशी है सब को रोज़-ए-ईद की याँ
हुए हैं मिल के बाहम आश्ना ख़ुश
भला कुछ भी मुनासिब है मिरी जाँ
कि हो तू आज के दिन मुझ से ना-ख़ुश
बता ऐसी कोई तदबीर 'बेदार'
कि जिस से होवे मेरा दिलरुबा ख़ुश
ग़ज़ल
सभों से यूँ तो है दिल आप का ख़ुश
मीर मोहम्मदी बेदार