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सभों से यूँ तो है दिल आप का ख़ुश | शाही शायरी
sabhon se yun to hai dil aap ka KHush

ग़ज़ल

सभों से यूँ तो है दिल आप का ख़ुश

मीर मोहम्मदी बेदार

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सभों से यूँ तो है दिल आप का ख़ुश
अगर पूछो तो है हम से ही ना-ख़ुश

ख़ुशी तेरी ही है मंज़ूर हम को
बला से गर कोई ना-ख़ुश हो या ख़ुश

रवाक़-ए-चश्म ओ क़स्र-ए-दिल किया सैर
न की पर आप ने याँ कोई जा ख़ुश

जफ़ा कर या वफ़ा मुख़्तार है तू
मुझे यकसाँ है क्या ना-ख़ुश है क्या ख़ुश

नहीं उस में तो ग़ैर-अज़-जौर लेकिन
मुझे क्या जाने क्या आई अदा ख़ुश

किया है गरचे ना-ख़ुश तू ने हम को
रखे पर ऐ बुताँ तुम को ख़ुदा ख़ुश

ख़ुशी है सब को रोज़-ए-ईद की याँ
हुए हैं मिल के बाहम आश्ना ख़ुश

भला कुछ भी मुनासिब है मिरी जाँ
कि हो तू आज के दिन मुझ से ना-ख़ुश

बता ऐसी कोई तदबीर 'बेदार'
कि जिस से होवे मेरा दिलरुबा ख़ुश