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सब उस की महफ़िल में हैं | शाही शायरी
sab uski mahfil mein hain

ग़ज़ल

सब उस की महफ़िल में हैं

ख़्वाजा जावेद अख़्तर

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सब उस की महफ़िल में हैं
और हम उस के दिल में हैं

कल तक तो ख़ुश-हाल थे हम
आज बड़ी मुश्किल में हैं

रौशन इम्कानात मिरे
सारे मुस्तक़बिल में हैं

बे-पर्दा हैं लैलाएँ
और मजनूँ महमिल में हैं

मुद्दत से इक अज़्म लिए
हम राह-ओ-मंज़िल में हैं

जब से बिल्ली जाग उठी
सारे चूहे बिल में हैं

इक दिन बार-आवर होंगे
तुख़्म जो आब-ओ-गिल में हैं

सब कुछ अच्छा है अब हम
उम्र की उस मंज़िल में हैं