सब कुछ खो कर मौज उड़ाना इश्क़ में सीखा 
हम ने क्या क्या तीर चलाना इश्क़ में सीखा 
रीत के आगे प्रीत निभाना इश्क़ में सीखा 
साधू बन कर मस्जिद जाना इश्क़ में सीखा 
इश्क़ से पहले तेज़ हवा का ख़ौफ़ बहुत था 
तेज़ हवा में हँसना गाना इश्क़ में सीखा 
हर इक सरहद फाँद चुका था सरकश दरिया 
उस दरिया को मोड़ के लाना इश्क़ में सीखा 
इश्क़ किया तो ज़ुल्म हुआ और ज़ुल्म हुआ जब 
ज़ुल्म के आगे सर न झुकाना इश्क़ में सीखा 
अपने दुख में रोना-धोना आप ही आया 
ग़ैर के दुख में ख़ुद को दुखाना इश्क़ में सीखा 
इश्क़ का जादू क्या होता है हम से पूछो 
धूल में मिल कर फूल खिलाना इश्क़ में सीखा 
कुछ भी 'हिलाल' अब डींगें मारो लेकिन तुम ने 
महफ़िल महफ़िल धूम मचाना इश्क़ में सीखा
        ग़ज़ल
सब कुछ खो कर मौज उड़ाना इश्क़ में सीखा
हिलाल फ़रीद

