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सावन आया छाने लगे घोर घन घोर बादल | शाही शायरी
sawan aaya chhane lage ghor ghan ghor baadal

ग़ज़ल

सावन आया छाने लगे घोर घन घोर बादल

अमीक़ हनफ़ी

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सावन आया छाने लगे घोर घन घोर बादल
करते हैं फिर दिल को परेशान चित चोर बादल

जंगल जंगल सनकी हवा बाँस बन झूम उठे
नाचे कूदे गरजे मचाने लगे शोर बादल

ढोलक नक़्क़ारे बाँसुरी झाँझनें बज रही हैं
उस पर ये सत-रंगी धनक बन गए मोर बादल

बिजली का पहलू गुदगुदाया भरीं चुटकियाँ भी
झूमा झटकी कर के दिखाने लगे ज़ोर बादल

दिल में दुख आँखों में नमी आसमाँ पर घटाएँ
अंदर बाहर इस ओर उस ओर हर ओर बादल