EN اردو
सारी दुनिया के सितम और मिरा दिल तन्हा | शाही शायरी
sari duniya ke sitam aur mera dil tanha

ग़ज़ल

सारी दुनिया के सितम और मिरा दिल तन्हा

तमन्ना जमाली

;

सारी दुनिया के सितम और मिरा दिल तन्हा
मैं ने झेली है ज़माने में ये मुश्किल तन्हा

सब ने हंगामा-ए-महफ़िल के मज़े लूटे हैं
रह गई शम्अ' बे-चारी सर-ए-महफ़िल तन्हा

कब तलक ठीक न होगा ग़म-ए-दौराँ का मिज़ाज
हम भी बैठे हैं ज़माने के मुक़ाबिल तन्हा

अब किसी रहबर-ए-मंज़िल की तमन्ना भी नहीं
मैं अकेला हूँ मुसाफ़िर मिरी मंज़िल तन्हा