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सारे रिश्ते तबाह कर आया | शाही शायरी
sare rishte tabah kar aaya

ग़ज़ल

सारे रिश्ते तबाह कर आया

जौन एलिया

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सारे रिश्ते तबाह कर आया
दिल-ए-बर्बाद अपने घर आया

आख़िरश ख़ून थूकने से मियाँ
बात में तेरी क्या असर आया

था ख़बर में ज़ियाँ दिल ओ जाँ का
हर तरफ़ से मैं बे-ख़बर आया

अब यहाँ होश में कभी अपने
नहीं आऊँगा मैं अगर आया

मैं रहा उम्र भर जुदा ख़ुद से
याद मैं ख़ुद को उम्र भर आया

वो जो दिल नाम का था एक नफ़र
आज मैं इस से भी मुकर आया

मुद्दतों बअ'द घर गया था मैं
जाते ही मैं वहाँ से डर आया