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साँप सर मार अगर जो जावे मर | शाही शायरी
sanp sar mar agar jo jawe mar

ग़ज़ल

साँप सर मार अगर जो जावे मर

आबरू शाह मुबारक

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साँप सर मार अगर जो जावे मर
न करे ज़ुल्फ़ के तिरी सर बर

नाम लैला का दम-ब-दम ले ले
मारता है जंगल में मजनूँ बड़

आशिक़ाँ देख तेरी संग-दिली
जान देते हैं दम-ब-दम मर मर

'आबरू' जीव डूब जाता है
बे-ख़ुदी की जब आवती है लहर