साँप सर मार अगर जो जावे मर
न करे ज़ुल्फ़ के तिरी सर बर
नाम लैला का दम-ब-दम ले ले
मारता है जंगल में मजनूँ बड़
आशिक़ाँ देख तेरी संग-दिली
जान देते हैं दम-ब-दम मर मर
'आबरू' जीव डूब जाता है
बे-ख़ुदी की जब आवती है लहर
ग़ज़ल
साँप सर मार अगर जो जावे मर
आबरू शाह मुबारक