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साँझ सवेरे पंछी गाएँ ले कर तेरा नाम | शाही शायरी
sanjh sawere panchhi gaen le kar tera nam

ग़ज़ल

साँझ सवेरे पंछी गाएँ ले कर तेरा नाम

इरफ़ाना अज़ीज़

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साँझ सवेरे पंछी गाएँ ले कर तेरा नाम
डाली डाली पर है तेरी यादों के बिसराम

बिछड़ा साथी ढूँढ रही है गूंजों की इक डार
भीगे भीगे नैन उठाए देख रही है शाम

मीठी नींद में डूबे गाँव बुझ गए सारे दीप
बिर्हा के मारों का सुख के सपनों से क्या काम

छोड़ शिकारी अपनी घातें बदल गया संसार
उड़ जाएँगे अब तो पंछी ले कर तेरा दाम

आँखों पर पलकों का साजन कब होता है बोझ
दूर से आए हो तुम नैन बीच करो आराम