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रूह-ए-अज्दाद को झिंझोड़ दिया बच्चों ने | शाही शायरी
ruh-e-ajdad ko jhinjhoD diya bachchon ne

ग़ज़ल

रूह-ए-अज्दाद को झिंझोड़ दिया बच्चों ने

कँवल ज़ियाई

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रूह-ए-अज्दाद को झिंझोड़ दिया बच्चों ने
सारे हालात का रुख़ मोड़ दिया बच्चों ने

आख़िरी एक खिलौना था रिवायत का वक़ार
बातों बातों में जिसे तोड़ दिया बच्चों ने

घर का हर शख़्स नज़र आता है बुत पत्थर का
जब से रिश्तों को नया मोड़ दिया बच्चों ने

ज़िंदगी आज है इक ऐसे अपाहिज की तरह
ला के जंगल में जिसे छोड़ दिया बच्चों ने

आज के दौर की तहज़ीब का पत्थर ले कर
एक दीवाने का सर फोड़ दिया बच्चों ने

ज़द में आ जाएँगे सब शहर सभी गाँव भी
मौज-ए-दरिया को किधर मोड़ दिया बच्चों ने

सब बुज़ुर्गों के तबस्सुम को दिखावा कहिए
वर्ना ये सच है कि दिल तोड़ दिया बच्चों ने