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रुतों का लम्स शजर में रहे तो अच्छा है | शाही शायरी
ruton ka lams shajar mein rahe to achchha hai

ग़ज़ल

रुतों का लम्स शजर में रहे तो अच्छा है

शबाना ज़ैदी शबीन

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रुतों का लम्स शजर में रहे तो अच्छा है
मिठास बन के समर में रहे तो अच्छा है

कहाँ से दिल के इलाक़े में आ गई दुनिया
ये सर का दर्द है सर में रहे तो अच्छा है

मिरा क़याम है घर में मुसाफ़िरों जैसा
ये घर भी राहगुज़र में रहे तो अच्छा है

मैं सुन रही हूँ क़यामत की आहटों को 'शबीन'
हयात फिर भी सफ़र में रहे तो अच्छा है