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रिश्तों का अपना-पन झूट | शाही शायरी
rishton ka apna-pan jhuT

ग़ज़ल

रिश्तों का अपना-पन झूट

मेहदी प्रतापगढ़ी

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रिश्तों का अपना-पन झूट
आशाओं का सावन झूट

दिल ही आसूदा जो नहीं
फूल भरा हर आँगन झूट

उस का मन जब काला है
चेहरे का उजला-पन झूट

उस का चेहरा चाँद नहीं
बोले दिल का दर्पन झूट

धरती की अज़्मत जो न हो
मिट्टी का सौंधा-पन झूट

जिद्दत-ए-नुदरत जान-ए-ग़ज़ल
लफ़्ज़ों का तीखा-पन झूट

जिस में ख़ुशियाँ जन्म न लें
'मेहदी' वो घर आँगन झूट