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रेशम ज़ुल्फ़ के तार भी बातें करते हैं | शाही शायरी
resham zulf ke tar bhi baaten karte hain

ग़ज़ल

रेशम ज़ुल्फ़ के तार भी बातें करते हैं

फख़्र अब्बास

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रेशम ज़ुल्फ़ के तार भी बातें करते हैं
उस के तो रुख़्सार भी बातें करते हैं

इतना वक़्त मैं देता हूँ उस लड़की को
अब तो मेरे यार भी बातें करते हैं

सौ अफ़्साने बन जाते हैं दोनों के
हम दोनों दो चार भी बातें करते हैं

हर इक शे'र नहीं हो सकता अच्छा शे'र
शाइ'र कुछ बे-कार भी बातें करते हैं

इतने ज़ख़्म दिखाता हूँ मैं आए दिन
मुझ को तो ग़म-ख़्वार भी बातें करते हैं