रक़ीबों का मुझ से गिला हो रहा है
ये क्या कर रहे हो ये क्या हो रहा है
दुआ को नहीं राह मिलती फ़लक की
कुछ ऐसा हुजूम-ए-बला हो रहा है
वो जो कर रहे हैं बजा कर रहे हैं
ये जो हो रहा है बजा हो रहा है
वो ना-आश्ना बेवफ़ा मेरी ज़िद से
ज़माने का अब आश्ना हो रहा है
छुपाए हुए दिल को फिरते हैं 'बेख़ुद'
कि ख़्वाहाँ कोई दिल-रुबा हुआ है
ग़ज़ल
रक़ीबों का मुझ से गिला हो रहा है
बेखुद बदायुनी