रंज-ओ-आलाम से मोहब्बत है
सई-ए-नाकाम से मोहब्बत है
ज़िंदगी-भर न हो सहर जिस की
हम को उस शाम से मोहब्बत है
क्या ख़तर गर्दिश-ए-फ़लक से हमें
गर्दिश-ए-जाम से मोहब्बत है
बादा सहबा शराब से दारद
ऐसे हर नाम से मोहब्बत है
बादा-ओ-जाम से मोहब्बत थी
बादा-ओ-जाम से मोहब्बत है
हर घड़ी दिल में याद है उन की
बस उसी नाम से मोहब्बत है
उन में शान-ए-ख़ुदा है जल्वा-फ़गन
हम को असनाम से मोहब्बत है
दुश्मन-ए-जाँ है ये मोहब्बत भी
सैद को दाम से मोहब्बत है
क़द्र-ए-ईसार क्या वो समझेंगे
जिन को अंजाम से मोहब्बत है
उस की तशरीह क्या हो ऐ 'साहिर'
दर्द-ए-बे-नाम से मोहब्बत है

ग़ज़ल
रंज-ओ-आलाम से मोहब्बत है
साहिर होशियारपुरी