रंग मौसम का हरा था पहले
पेड़ ये कितना घना था पहले
मैं ने तो ब'अद में तोड़ा था इसे
आईना मुझ पे हँसा था पहले
जो नया है वो पुराना होगा
जो पुराना है नया था पहले
ब'अद में मैं ने बुलंदी को छुआ
अपनी नज़रों से गिरा था पहले

ग़ज़ल
रंग मौसम का हरा था पहले
राजेश रेड्डी