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रंग कुछ शोख़ से तस्वीर में भर कर देखो | शाही शायरी
rang kuchh shoKH se taswir mein bhar kar dekho

ग़ज़ल

रंग कुछ शोख़ से तस्वीर में भर कर देखो

मुमताज़ मीरज़ा

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रंग कुछ शोख़ से तस्वीर में भर कर देखो
ज़िंदगी शोख़ है इस शोख़ पे मर कर देखो

एक पल के लिए 'मुमताज़' ठहर कर देखो
दिल की जानिब भी ज़रा एक नज़र कर देखो

अपनी हस्ती का सनम तोड़ो तो पाओगे नजात
रेत के ज़र्रों की मानिंद बिखर कर देखो

कितना प्यारा है जहाँ कितनी हसीं है ये हयात
यास ओ अंदोह के दरिया से गुज़र कर देखो

लब-ए-साहिल पे तो 'मुमताज़' न मिल पाया सुकूँ
सैल-ए-तूफ़ान-ए-हवादिस से गुज़र कर देखो