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रंग-बिरंगे फूलों जैसी मेरी चंचल आस | शाही शायरी
rang-birange phulon jaisi meri chanchal aas

ग़ज़ल

रंग-बिरंगे फूलों जैसी मेरी चंचल आस

इरफ़ाना अज़ीज़

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रंग-बिरंगे फूलों जैसी मेरी चंचल आस
मेरी आस का रूप मनोहर प्रीतम को है रास

चुपके चुपके क्या कहते हैं तुझ से धान के खेत
बोल री निर्मल निर्मल नदिया क्यूँ है चाँद उदास

सुर-सागर जैसे गहरे हैं मेरे कवी के नैन
देख सखी पनघट पर आया कौन बुझाने प्यास

नूर के तड़के मैं ने देखी पंखुड़ियों पर ओस
तारों के मोती चुनती है सारी रात कपास

साँझ-सवेरे नैनों में लहराए उस का रूप
मेरे सपनों का रखवाला दूर रहे या पास